हर फैसला होता नहीं सिक्का उछाल के ये दिल का मामला है जरा देख भाल के। मुबाइल के जमाने के आशिकों को क्या पता कैसे रख देते थे खत में हम अपना कलेजा निकाल के ये कह कर नई रौशनी रोएगी एक दिन अच्छे थे वही लोग पुराने ख्याल के। आंधी उड़ा के ले गई ये और बात है कहने के तो हम भी पत्ते थे मजबूत डाल के। तुमसे मिला है प्यार सब रत्न मिल गए अब क्या करेंगे और समंदर खंखाल के।। (एक्स,आर्मी) ©Krishana Kant Sinha #WritersSpecial