खुद को नया सवेरा उपहार दे आज मे आ माजी की धूल झाड़ दे जो अच्छे का ना मिला सिला बिसार दे जो बुरा हुआ जितना हो मुमकिन सुधार ले जो छूटा था अनमोल बहुत पर जो रह गया जरा उसे तो संवार ले शिकायतें गम निभाने को जिन्दगी है कम मान तो थूक गुस्सा ,प्यार दे प्यार ले सुप्रभात। अक्सर हमारे मन का आईना माज़ी की धूल से अटा पड़ा होता है और हम उसे साफ़ करने की ज़हमत तक नहीं उठाते। *माज़ी - भूतकाल #धूलझाड़दे #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi