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ना जाने किस उम्मीद पर बैठा है ऐ दिल , इक ऐसी राह

ना जाने किस उम्मीद  पर बैठा है ऐ दिल ,
इक ऐसी राह पर जो तेरी रहगुजर ही नही ,
   मेरे दिल को आज भी ना जाने क्यूँ 
तेरा इंतजार है , 
बहूत बखूबी 
जानते है की तु नही आयेगा अब ,
फिर भी ना जाने क्यूँ ,
इस आस पर उम्मिद लगा कर बैठा है ये दिल ,
कि तु आयेगा।। #आ भी जा
ना जाने किस उम्मीद  पर बैठा है ऐ दिल ,
इक ऐसी राह पर जो तेरी रहगुजर ही नही ,
   मेरे दिल को आज भी ना जाने क्यूँ 
तेरा इंतजार है , 
बहूत बखूबी 
जानते है की तु नही आयेगा अब ,
फिर भी ना जाने क्यूँ ,
इस आस पर उम्मिद लगा कर बैठा है ये दिल ,
कि तु आयेगा।। #आ भी जा