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हर वक़्त उसी को सोच के गुजरता है दिन। वो अगर साथ ह

हर वक़्त उसी को सोच के गुजरता है दिन।
वो अगर साथ होती तो क्या बात होती।।

बिना कुछ जाने सजा दी गई है किसी को।
अगर उसके गुनाह की तहकीकात होती तो क्या बात होती।।

बूंदों को तरसती फसल आख़िर बर्बाद हो गई।
वक़्त पर अगर बरसात होती तो क्या बात होती।।

गुलामी की दास्तान सुनाती है रोज मुझे वो किनारे पे आकर।
लहरें अगर समंदर की कैद से आजाद होती तो क्या बात होती।।

         ❤️ Shayar RK...✍🏻


























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©SHAYAR (RK)
  #हमारी_अधूरी_कहानी💔 
#मैं_और_मेरी_तन्हाई🚶
rajeshkumarrk5528

SHAYAR (RK)

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Growing Creator

हमारी_अधूरी_कहानी💔 मैं_और_मेरी_तन्हाई🚶 #कविता

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