White "मन क्या कहता है" चलो सुनती हूं की कहता है यह मन उडुं उन पक्षियों की तरह खुले आसमान में जिसे ना गिरने का डर ना कोई रोकने वाला,, उस मोर सा मन जो खुलकर बारिश में नाचना चाहे, उस कोयल सा मन जिसकी आवाज सूफियानी गानों सा लगे,, उस नदी सामन जो कल कल बहना चाहे,, उस दर्पण सा मन जो खुद को देख शर्माए,, बस इतना ही तो चाहे मन ।। ©Shobhani singh #मन#