#जिन्द़गी का सफ़र न लगा इतने मरहम तू, थोड़ासा दर्द तो रहने दे गुज़र तो गई हैं तूफ़ान की रात, थोड़े से निशाँ भी तो रहने दे क्या करूं मुस्कुराकर मैं अब, थोड़े से आंसू भी तो रहने दे ना मिटा मेरे सफ़र के निशाँ पांव के छाले यूं ही रहने दे यूं तो अकेला न था ये दिल मेरा आवारा, पर अब ये तन्हाई भी रहने दे @शब्दभेदी किशोर ©शब्दवेडा किशोर #सफ़र_ए_ज़िंदगी