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नींद में होश नही होता रोशनी में दाग़ नही होता। दु

नींद में होश नही होता
रोशनी में दाग़ नही होता।

दुनिया समझती नही खामोशियां
लेकिन खंडहरों में शोर नही होता।

रात में चीखती हैं आवाजें मेरी तरफ सदियों पुरानी
मैं सह नही सकता दूसरा कोई सुन नही सकता।

बुलाता है शाम ओ सहर हिज्र में लेकिन
प्रेम कभी प्रेम से बलिदान नही लेता।

खुश देख कर मोहब्बत को वो इस जहां में
मोहब्बत में फिर वो उसका नाम नही लेता।

चला जाता है लौट के वापिस वतन वो प्यारा
और अपनी जीत को हार का नाम नहीं देता।

फिर जन्नत मिल गई दोनों गुलाबों को घर में
अब कोई भी गैर दुनिया का नाम नहीं लेता।

©Siddharth kushwaha 🇮🇳🇮🇳
#सुहाना_सफ़र 
#कानपुर #भारतीय 

#HAPPY_ROSE_DAY
नींद में होश नही होता
रोशनी में दाग़ नही होता।

दुनिया समझती नही खामोशियां
लेकिन खंडहरों में शोर नही होता।

रात में चीखती हैं आवाजें मेरी तरफ सदियों पुरानी
मैं सह नही सकता दूसरा कोई सुन नही सकता।

बुलाता है शाम ओ सहर हिज्र में लेकिन
प्रेम कभी प्रेम से बलिदान नही लेता।

खुश देख कर मोहब्बत को वो इस जहां में
मोहब्बत में फिर वो उसका नाम नही लेता।

चला जाता है लौट के वापिस वतन वो प्यारा
और अपनी जीत को हार का नाम नहीं देता।

फिर जन्नत मिल गई दोनों गुलाबों को घर में
अब कोई भी गैर दुनिया का नाम नहीं लेता।

©Siddharth kushwaha 🇮🇳🇮🇳
#सुहाना_सफ़र 
#कानपुर #भारतीय 

#HAPPY_ROSE_DAY