बचपन ग़ज़ल क्या वो हसीन ज़माना था बचपन अपना कितना प्यारा था हर एक बच्चे का अपना ख़ास अंदाज़ रहता था हर एक मौसम हमारे लिए सुहाना होता था ना रोने की वजह थी ना हँसने का कोई बहना था बेवजह ही हर किसी से अपना बात मनवाना था क्यूँ हम हो गए इतने बड़े इससे अच्छा तो हमारा बचपना था अब कहां इंतज़ार रहता इतवार का हमें उसके इंतज़ार में बड़ा होना था स्कूल जल्दी जाना घर पर देर से लौट कर आना दोस्तों संग हुडदंग करना याद आते ही आँखों में खुशी के आज़ भी आंँसू आना कभी दोस्तों संग काँचा तो कभी कबड्डी कभी लंगड़ी टांग तो कभी टूटे हमारी हड्डी खेल कूद दोस्तों संग बीतता था अपना बचपन खिला रहता था सारा दिन अपना मन अब तो हमारी दुनिया गई है मोबाइल के बटन पर सिमट फेसबुक वाट्सअप से अपनी दूर की दोस्ती निभाते और अपनों और ख़ास दोस्तों के लिए आज़ हम वक्त नहीं पाते वक्त भी खुदगर्ज़ निकला हमारा बचपन छीन जवानी दे गया हर उम्र में पढ़ाई जिम्मेदारी की तबाही मिली एक बचपन ही था जो हमें सही सलामत मिली #kkpc27 #kkप्रीमियम #प्रीमियमगज़ल #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़प्रीमियम #विशेषप्रतियोगिता #yqdidi