#OpenPoetry तेरे पीछे बरबाद अपनी जिंदगी किया हु, कभी गिरता हु , कभी उठता हु, हर रोज मर मर के जिया हु। तुझे भुलाने के खातिर शराब आज पिया हु। ग़लती की जो तुजसे प्यार किया, अपनी सारि खुशी बेच कर गम खरीद लिया हु। बहोत खुश था जब तक तू साथ थी मेरे, तुजसे बिछड़ कर मौत से रिस्ता बना लिया हु। आंखों में आशु ना बचा है अब एक भी, जितने आँशु थे, उतने सारे बहा लिया हु। अब ना कर पाएंगे भरोशा किसीका भी, ओर अब तो प्यार से भी मुह मोड़ लिया हु। #opnepoetry#nojoto#mr.writer