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पुराने किसी ताख पर हमने, दिल रखके छोड़ा है। आंगन के

पुराने किसी ताख पर हमने, दिल रखके छोड़ा है।
आंगन के उस कुएं पर, सपना संजो के रखा है।
दरारों के दरकने से आती है अब भी तुम्हारी आवाज़।
हमने मिट्टी की तहों में तुम्हारा एहसास दबा के रखा है । यादें
#pagesofdiary #dreams #poetry #memories
पुराने किसी ताख पर हमने, दिल रखके छोड़ा है।
आंगन के उस कुएं पर, सपना संजो के रखा है।
दरारों के दरकने से आती है अब भी तुम्हारी आवाज़।
हमने मिट्टी की तहों में तुम्हारा एहसास दबा के रखा है । यादें
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