समानांतर रेल की पटरियों सा जीवन ही ठीक है जिसमें इक दिशा में एक सोच चलने की सीख है। जुड़ी हैं स्लीपर ब्लास्ट मिट्टी गिट्टी से भली भांति भले मिलती नहीं मंजिल तक साथ तो चलती हैं। जंक्शन सी गडमड लाईनों सी छलती तो नहीं हैं। जंक्शन से न जाने गुजरती हैं रोज कितनी ही ट्रेनें वो तो पटरियाँ ही जानतीं है उनपे क्या गुजरती है। टर्मिनस से स्टेशन सा हो जीवन अपने में मस्त हो सैंट्रल का क्या करना जो सदा ही अस्त-व्यस्त हो। टर्मिनस रेलवे स्टेशन सा सीधा साधा जीवन हो जिस पथ से ट्रेन आये उसी से बस उसका जाना हो। ऐसी साधारण सीधी जिंदगी हमें तो अच्छी लगती है। समानांतर रेल की पटरियों सा जीवन ही ठीक है भले मिलती नहीं मंजिल तक साथ तो चलती है। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 07.10.2020 रेलवे लाइन