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अपने खालीपन को भरते-भरते इतनी भर चुकी है... 'वो' क

अपने
खालीपन को
भरते-भरते
इतनी भर चुकी है... 'वो'
कि अब 
शायद जानती ही नहीं
क्या मन में रखे
क्या मन से बाहर रखे...!
🌹
 अपने
खालीपन को
भरते-भरते
इतनी भर चुकी है... 'वो'
कि अब 
शायद जानती ही नहीं
क्या मन में रखे
क्या मन से बाहर रखे...!
अपने
खालीपन को
भरते-भरते
इतनी भर चुकी है... 'वो'
कि अब 
शायद जानती ही नहीं
क्या मन में रखे
क्या मन से बाहर रखे...!
🌹
 अपने
खालीपन को
भरते-भरते
इतनी भर चुकी है... 'वो'
कि अब 
शायद जानती ही नहीं
क्या मन में रखे
क्या मन से बाहर रखे...!