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नेपथ्य के अंधेरे में गुजरती ज़िन्दगी, रंगमंच के र

नेपथ्य के अंधेरे में  गुजरती ज़िन्दगी,
रंगमंच के रोशनी में...नायक अपना
अभिनय कौशल भुल गया।
रंगमंच के इस  खेल में 
नायक - खलनायक मेल में
पात्र अपना किरदार भुल गए।
हाशिए में  हम किरदार ऐसे बने,
कि कागज़ी नावों में पैर रख कर,
सरपट आगे निकल गए।
न आगे देखा न पीछे मुड़कर देखा,
दर्शकों की भीड़ में तालियों की, 
गूँज  ठहर गई...
किरदार ऐसे बने हम।-राजीव

©Rajiv
  रंगमंच
rajivkr7739

Rajiv

Bronze Star
New Creator

रंगमंच #कविता

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