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रात भर इश्क खुद की तलाश में रहा छू भी ना पाया चांद

रात भर इश्क खुद की तलाश में रहा
छू भी ना पाया चांद
रात के आगोश को
रात भर इक चातक प्रेम को तरसता रहा
तुम समझ पाते काश 
मेरे दिल की चुभन को
रात भर इक दिल टूट कर धड़कता रहा
न चांद की ना रात की
प्रेम तो सिर्फ बयार को मिला

©shubpreet
  #रातऔरचांद