बिक रहीं बोटियाँ सरेआम मूक पशुओं की ढूँसकर ,जीवधारियों का व्यापार हो रहा है... पँख जीतेजी नोचे जा रहे मुर्गियों के चूजों को माँ का मुंह देखना नसीब ना हो रहा है उनकी वेदना को अपना अधिकार समझने वाले इंसानों कुछ बोलो? क्यों तुम्हारी जीभ के स्वाद खातिर वो तड़पकर मर रहे हैं उल्टे पतरी पर पत्तों की साग खाने वालों को कुछ एजेंडाधरी अत्याचारी प्रचारित कर रहे हैं...अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey एजेंडाधारी #cactus