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जीवन की शुरुआत में हमारे प्रारब्ध का प्रभाव होता ह

जीवन की शुरुआत में हमारे प्रारब्ध का प्रभाव होता है।
कुल, वंश, परिवार, माता-पिता परिवेश वही निर्धारित करता है।

गुण, कर्म, स्वभाव जन्मजात भी होते हैं और अर्जित किए हुए भी।

जन्मजात गुण, कर्म, स्वभाव, बढ़ती उम्र के साथ गौण हो जाते हैं और अर्जित किए हुए व्यक्तित्व बनकर प्रकट होते हैं। राम और रावण , कृष्ण और कंस, इसके बेहतरीन उदाहरण हैं। बुद्ध और अंगुलिमाल भी शानदार। इसे हम और अधिक सूक्ष्म रूप से देखें तो -- महर्षि वाल्मीकि से अच्छा उदाहरण क्या होगा?
" हीरा रेत में पड़ा रहे तो वह पत्थर से अधिक कुछ नहीं वही किसी जोहरी को मिल जाए तो .... आप जानते ही हैं।
:
#पाठकपुराण की ओर से सुप्रभातम.... 🍀🌲🌲😊🍀🙏🙏🍵🍵😊🌲
#yqdidi #yqhindi #bestquote
जीवन की शुरुआत में हमारे प्रारब्ध का प्रभाव होता है।
कुल, वंश, परिवार, माता-पिता परिवेश वही निर्धारित करता है।

गुण, कर्म, स्वभाव जन्मजात भी होते हैं और अर्जित किए हुए भी।

जन्मजात गुण, कर्म, स्वभाव, बढ़ती उम्र के साथ गौण हो जाते हैं और अर्जित किए हुए व्यक्तित्व बनकर प्रकट होते हैं। राम और रावण , कृष्ण और कंस, इसके बेहतरीन उदाहरण हैं। बुद्ध और अंगुलिमाल भी शानदार। इसे हम और अधिक सूक्ष्म रूप से देखें तो -- महर्षि वाल्मीकि से अच्छा उदाहरण क्या होगा?
" हीरा रेत में पड़ा रहे तो वह पत्थर से अधिक कुछ नहीं वही किसी जोहरी को मिल जाए तो .... आप जानते ही हैं।
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#पाठकपुराण की ओर से सुप्रभातम.... 🍀🌲🌲😊🍀🙏🙏🍵🍵😊🌲
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