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मन की भाषा जब समझे न कोई तो मन की बातें छिपानी ही

मन की भाषा जब समझे न कोई
तो मन की बातें छिपानी ही होंगी
मन के दर्द छलकेंगे जब आखों से
पलकें मूंद नज़रें चुरानी ही होंगी

ज़ख्म तेरे दिल पर हों या बदन पर
देख कर भी परवाह किसे है दोस्त
कोई पूछे न पूछे तेरे दर्द के बाबद
अपनी तस्सली के लिए बतानी ही होंगी

खेल यहां हर बार पैसों का ही था
कमा, कमाने के लिए लगा, या यूं हीं
जड़ हो जा ,मिट जा, किसे खबर
ज़िंदा है तो धड़कने सुनानी ही होंगी

अपनों से क्या शिकायत करें
थोड़े अच्छे या थोड़े बुरे ही तो हैं
यहां हर रोज़ कयामत बरसती है
बस्तियों में ज़िंदगियाँ तरसती है
हमे मिलाकर हाथ, एक साथ
ये तल्खियां मिटानी ही होंगी तल्खियां
मन की भाषा जब समझे न कोई
तो मन की बातें छिपानी ही होंगी
मन के दर्द छलकेंगे जब आखों से
पलकें मूंद नज़रें चुरानी ही होंगी

ज़ख्म तेरे दिल पर हों या बदन पर
देख कर भी परवाह किसे है दोस्त
कोई पूछे न पूछे तेरे दर्द के बाबद
अपनी तस्सली के लिए बतानी ही होंगी

खेल यहां हर बार पैसों का ही था
कमा, कमाने के लिए लगा, या यूं हीं
जड़ हो जा ,मिट जा, किसे खबर
ज़िंदा है तो धड़कने सुनानी ही होंगी

अपनों से क्या शिकायत करें
थोड़े अच्छे या थोड़े बुरे ही तो हैं
यहां हर रोज़ कयामत बरसती है
बस्तियों में ज़िंदगियाँ तरसती है
हमे मिलाकर हाथ, एक साथ
ये तल्खियां मिटानी ही होंगी तल्खियां
jaisingh8835

Jai Singh

Bronze Star
New Creator

तल्खियां