। ये शहर। ये शहर मुझे चैन से सोने नहीं देता, आवाज को मेरी कानों तक जानें नहीं देता, सुबह तो होती हैं बस दौड़ने के लिए, ये शहर मुझे जिंदगी जीने नही देता।। होती हैं शुरुवात कुछ ऐसे इस शहर में, गैरों की बातों में अपनास ढूंढता हूं। छत मिल जाए तो खाना ढूंढता हूं, खुश रहने का कोई बहाना ढूंढता हूं हों जाऊ गर बीमार, खुद को बताना भूलता हूं मैं दवा, दारू के पैसे बचाना सोचता हूं, बसता नही कोई इंसा यहां, यहां दौड़ती, भागती मशीनें हैं, छोड़ आए हम जिंदगी गांव में शहर ने तो गले से जकड़ी जंजीरे हैं।। ©ATUL_NISHABD #lonelynight #ये #sehar