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यह शब्द-धुन्धुकारी हिन्दी के बहुतेरे शब्दों को कलं

यह शब्द-धुन्धुकारी हिन्दी के बहुतेरे शब्दों को कलंकित और अशुभ बना चुका है, उनका अर्थ बदल चुका है, अवमूल्यन कर चुका है ! इसका नया शिकार बनने वाला शब्द है,"आत्मनिर्भरता !"

एक नर-संहारक यदि समाज में प्रतिष्ठित और शक्तिशाली हो जाए, और उसके पीछे एक विचारहीन उन्मादी भक्तों का सैलाब उमड़ रहा हो और उसके पास एक वर्चस्वशाली प्रचार-तंत्र हो; तो वह मनुष्यों के अतिरिक्त विचारों और भावनाओं का भी संहार करता है और भाषा को लाशों से पटे एक युद्ध के मैदान सरीखा, या एक सांय-सांय करते मरघट जैसा, बना देता है !

शब्दों को अर्थ-वंचित या अर्थ-विकृत करके अत्याचारी शासक  लोगों से सोचने, सपना देखने और संवाद करने की क्षमता छीन लेने की कोशिश करता है, ताकि उसके प्राधिकार को कभी भी चुनौती न दी जा सके !

सभी तानाशाहों ने, सभी फासिस्टों ने, ऐसा करने की कोशिश की !

अन्ततोगत्वा, सभी विफल हुए !

#kavita_krishnapallavi #आत्मनिर्भरता #कविता_कृष्णपल्लवी
यह शब्द-धुन्धुकारी हिन्दी के बहुतेरे शब्दों को कलंकित और अशुभ बना चुका है, उनका अर्थ बदल चुका है, अवमूल्यन कर चुका है ! इसका नया शिकार बनने वाला शब्द है,"आत्मनिर्भरता !"

एक नर-संहारक यदि समाज में प्रतिष्ठित और शक्तिशाली हो जाए, और उसके पीछे एक विचारहीन उन्मादी भक्तों का सैलाब उमड़ रहा हो और उसके पास एक वर्चस्वशाली प्रचार-तंत्र हो; तो वह मनुष्यों के अतिरिक्त विचारों और भावनाओं का भी संहार करता है और भाषा को लाशों से पटे एक युद्ध के मैदान सरीखा, या एक सांय-सांय करते मरघट जैसा, बना देता है !

शब्दों को अर्थ-वंचित या अर्थ-विकृत करके अत्याचारी शासक  लोगों से सोचने, सपना देखने और संवाद करने की क्षमता छीन लेने की कोशिश करता है, ताकि उसके प्राधिकार को कभी भी चुनौती न दी जा सके !

सभी तानाशाहों ने, सभी फासिस्टों ने, ऐसा करने की कोशिश की !

अन्ततोगत्वा, सभी विफल हुए !

#kavita_krishnapallavi #आत्मनिर्भरता #कविता_कृष्णपल्लवी