गिरधर गोपाल की देख लीलाएं, मैय्या मन ही मन हर्षाये। कभी फोड़े मटकी, कभी दूसरों के घर से माखन चुराए। मोर मुकुट धारी करके अठखेलियां, सबका मन रिझायें। अधरों धर जब मुरली बजाए, सारा जग प्रेम में खो जाए। नटखट नंद गोपाल मेरे, मुख में मैय्या को ब्रह्मांड दिखाए। करके नित्य नई लीलाएं, सबको प्रेम से प्रेम का पाठ पढ़ाये। ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★ ★ आज का विषय - ''नटखट नंद गोपाल मेरे'' ★ छ: पंक्तियों में सुंदर रचना लिखिये एवं तस्वीर के सम्मुख खाली जगह पर ही लिखने का प्रयास करें। ★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा, इसलिए सफेद वाले भाग पर ही छोटे अक्षरों में लिखें। .