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हाँ... प्रेम है तुमसे जानती हूँ अब पर है तब से जब

हाँ...
प्रेम है तुमसे जानती हूँ अब
पर है तब से जब पता ना था
अच्छा लगता था साथ तुम्हारा
क्यूँ लगता था अब पता है सब
मन मचलता था मिलने को तुमसे
आतुरता मन की समझ चुकी हूँ अब
नाम सुनते तुम्हारा धड़कने बढ़ती थीं
हलचल धड़कनों की पढ़ चुकी हूँ अब
हाँ...
प्रेम है तुमसे...मानती हूँ अब...!
Muनेश...Meरी✍️


 Participate in this #rapidfire and write the #firstlovepoemof2020 

Here's my try:

I spent the past decade
falling in and out of love
so many times 
that now it seems
हाँ...
प्रेम है तुमसे जानती हूँ अब
पर है तब से जब पता ना था
अच्छा लगता था साथ तुम्हारा
क्यूँ लगता था अब पता है सब
मन मचलता था मिलने को तुमसे
आतुरता मन की समझ चुकी हूँ अब
नाम सुनते तुम्हारा धड़कने बढ़ती थीं
हलचल धड़कनों की पढ़ चुकी हूँ अब
हाँ...
प्रेम है तुमसे...मानती हूँ अब...!
Muनेश...Meरी✍️


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Here's my try:

I spent the past decade
falling in and out of love
so many times 
that now it seems