बालगीत-चींटी इट्टी-किट्टी, इट्टी-किट्टी देखो बच्चों तुम ये चींटी। तुम भी छोटे,चींटी छोटी। सीखो इनसे ,इट्टी किट्टी । भूख लगी है ,है कुछ खाना। चींटी इधर,उधर है दाना। जाना कैसे सोचे चींटी। सूझा तब कुछ ,इट्टी किट्टी। गिरती उठती आगे बढ़ती। मेहनत से ये कभी ना डरती। जाना सुरंग या पर्वत चोटी। डरे ना चींटी, इट्टी किट्टी। बात कहूं मैं तुमसे सच्ची बस थोड़ी सी माथा पच्ची। डाली चढ़ी पहुंची उस पार। पाया दाना इट्टी-किट्टी। हिम्मत से तुम कभी ना डरना। लक्ष्य रखो फिर आगे बढ़ना। पाकर रहना जैसे चींटी। बनो मेहनती,इट्टी किट्टी। चींटी ने ज्यों पाया खाना। बच्चों तुमने भी ये जाना। भरा पेट फिर चींटी का वा वा चींटी ,इट्टी -किट्टी। वीणा खंडेलवाल तुमसर बालगीत