हां मैं बागी हूं ! दुश्मन का सर मुड़ दूं ऐसा त्यागी हूं हां मैं बागी हूं ! किस्मत ही कुछ ऐसी है कि मैं बागी हूं हां मैं बागी हूं ! समाज की कुरीतियों से मैं सीखा हूं शासन सत्ता के क्रूर चक्र से मैं जागा हूं हां मैं बागी हूं ! फूल था और था मैं कांटो से अन्जान देश के लुटेरों ने बना दिया मुझको शैतान हां मैं बागी हूं ! गरीबों असहाय और इमानदारों का नेता हूं चोरों का चोर और डाकुओं का सरताज हूं हां मैं बागी हूं ! कसम भवानी की मैं लुटेरों का लुटेरा हूं ईमानदारों का रक्षक बेईमानों का भक्षक हूं हां मैं बागी हूं ! था मैं बालक सीधा-साधा,प्यारा और नादान समाज ने बना दिया मुझको ददुआ और सुल्तान हां मैं बागी हूं ! अब यही है तमन्ना मेरी और यही है पैगाम संभल जाओ ऐ गद्दारों जीना कर दूंगा हराम हां मैं बागी हूं ! जुल्मों के कहर को मैं मिट्टी में मिला दूं जो मांगते फिरते सदा खुशहाल नए सवेरे की आसमां पर एक दीपक मैं उनके लिए जला दूं हां मैं बागी हूं ! दुश्मन का सर मुड़ दूं ऐसा त्यागी हूं हां मैं बागी हूं ! ©Rahul Singh Chauhan #बागी #LostInCrowd Divya Gupta✍️ Vijjuu💕