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अमिताभ चल पड़ा। बूढ़ा चिल्लाने लगा, "बाबू,कहाँ जा रह

अमिताभ चल पड़ा। बूढ़ा चिल्लाने लगा,
"बाबू,कहाँ जा रहे हैं आप? 
बाबू, मेरी लड़कियाँ बहुत अच्छी हैं, वह आपको खुश कर देंगी।आइए तो एक बार..."
बूढ़ा चिल्लाता रहा। अमिताभ दूर निकल गया। 

तब वह बूढ़ा गुर्राता हुआ भीतर घुस गया और चिल्लाने लगा, 
"बाबू से बात नहीं की तुममें से किसी ने। 
नाराज़ कर दिया उन्हें ।
सुअर! अब क्या खाओगी? मेरा सर..."

तीनों लड़कियाँ अपराधिनी बनकर सहमी-सी खड़ी रहीं। 
बूढ़ा खीझता रहा।

अमिताभ क्रोध से विषक्त मन ही मन कहता जा रहा था, 'कंबख्त, बदमाश! चुड़ैलों में ले जाकर खड़ा कर दिया मुझे। उफ! कितनी भयानक थीं, 
बिलकुल मैकबेथ की विचेज़! बिलकुल विचेज़।'

#विषाद_मठ #coronavirus #विषाद_मठ #रांगेय_राघव
अमिताभ चल पड़ा। बूढ़ा चिल्लाने लगा,
"बाबू,कहाँ जा रहे हैं आप? 
बाबू, मेरी लड़कियाँ बहुत अच्छी हैं, वह आपको खुश कर देंगी।आइए तो एक बार..."
बूढ़ा चिल्लाता रहा। अमिताभ दूर निकल गया। 

तब वह बूढ़ा गुर्राता हुआ भीतर घुस गया और चिल्लाने लगा, 
"बाबू से बात नहीं की तुममें से किसी ने। 
नाराज़ कर दिया उन्हें ।
सुअर! अब क्या खाओगी? मेरा सर..."

तीनों लड़कियाँ अपराधिनी बनकर सहमी-सी खड़ी रहीं। 
बूढ़ा खीझता रहा।

अमिताभ क्रोध से विषक्त मन ही मन कहता जा रहा था, 'कंबख्त, बदमाश! चुड़ैलों में ले जाकर खड़ा कर दिया मुझे। उफ! कितनी भयानक थीं, 
बिलकुल मैकबेथ की विचेज़! बिलकुल विचेज़।'

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