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है कहाँ मासूमियत अब दिल फ़रेबी से सभी, ज़हर की इन

है कहाँ मासूमियत अब दिल फ़रेबी से सभी,
ज़हर की इन प्यालियों में खोजता तू खीर को |


    ✍अरविन्द त्रिवेदी
है कहाँ मासूमियत अब दिल फ़रेबी से सभी,
ज़हर की इन प्यालियों में खोजता तू खीर को |


    ✍अरविन्द त्रिवेदी