शीर्षक - मैं पत्थर न बन जाऊं खुश रखती हूं खुदको तो दिखती हूं,इसका मतलब ये तो नहीं कि मुझे कोई दर्द नहीं है पर उन दर्दों साथ ढोंना अब छोड़ दिया, मैंने अब रोना छोड़ दिया। थी उम्र ही क्या मेरी,जब शुरू हुआ संघर्ष मेरा? तब भी तो थी अकेली तो अब भी तो हूं अकेले गलत का साथ न आज दिया है,न ही तब दिया मैंने रोना छोड़ दिया। चुभती हूं गर तुमको तो सच हूं मैं जिससे तुमने कब का नाता तोड़ दिया, मैंने अब रोना छोड़ दिया। ज़िन्दगी आज भी चल रही है संकट में नहीं भरोसा कौन आकर क्या अपलक्ष्य लगा जाये? पर खुदको सही साबित करना सबकी नजर अब मैंने छोड़ दिया, मैंने अब रोना छोड़ दिया। ©Miss mishra #maipatthar #nabnjaun khin #poem