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सोच,किस कदर मजबूर थे हम। तू छोडकर जा रहा था ना रो

सोच,किस कदर मजबूर  थे हम।
तू छोडकर जा रहा था ना रोक सके।
बंजर हो गए दिल, जिगर, नजर, सॉस,रूह
ठहाके लगाते रहे रो भी ना सके हम।
तुम बात करते हो मेरे हर वक्त मुसकुरोने की
अरे लोगों की उम्मीद हूं, उदास कैसे हो जाऊ shayi
सोच,किस कदर मजबूर  थे हम।
तू छोडकर जा रहा था ना रोक सके।
बंजर हो गए दिल, जिगर, नजर, सॉस,रूह
ठहाके लगाते रहे रो भी ना सके हम।
तुम बात करते हो मेरे हर वक्त मुसकुरोने की
अरे लोगों की उम्मीद हूं, उदास कैसे हो जाऊ shayi
sachinsaubhri5679

love Sharma

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