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ओस की बूँद जब किसी फूल पऱ ठहर जाती है तब उसकी कोई

ओस की बूँद जब किसी फूल पऱ ठहर जाती है
तब उसकी कोई संभावना तय नहीँ होती
नहीँ देखता फूल उसकी गुणवत्ता 
नहीँ जानता वो कब तक ठहरेगी
नहीँ होता दोनों में आकर्षण फिर भी
कितना मनोरम मर्मस्पर्श है दोनों के बीच
निःस्वार्थ ठहरना और ठहरने देना
दोनों के सदभाव के प्रतीक है
और प्राकृतिक प्रेम के भी
जिसका तौल मोल कुछ भी नहीँ
बस एहसास रह जाता है
एक सुखद एहसास 💚

©Priya Dubey
  #शाश्वत प्रेम
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Priya Dubey

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#शाश्वत प्रेम #Poetry

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