करवट के बल लेटी थी पेड़ की लाश पंख फड़फड़ाती चीलें और, कांव कांव करते कौए अगवानी कर रहे थे शायद मरघट में मुर्दों की... यह देख संवेदनाओ से भर आयी आंखें नदी की। पेड़ की लाश।