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मुझे क्या पता था की मेरा लिखा किसी को इतनी गहरी चो

मुझे क्या पता था की मेरा लिखा किसी को इतनी गहरी चोट देगा , 
मुझे क्या पता था की अल्फ़ाज़ मेरे किसी को जीने की वजह देगा । 

लिखा था मैंने अपने जज़्बात को अपने प्यार के लिये कागज़ पे , 
मुझे क्या पता था कोई उसे अपना समझ कर मुझसे प्यार कर बैठेगा । 

दर्द अपना लिखा था किसी और के लिये चाहत मेरी थी किसी और की खातिर , 
मुझे क्या पता था कोई उन चाहतों को खुद के हिस्से का दर्द समझ लेगा । 

प्यार लिखना आज गुनाह सा लगता है दर्द बयान करने से डर लगता है , 
मुझे क्या पता था किसी और के दिये दर्द को कोई अपना नाम दे जायेगा । 

मेरे हर अल्फ़ाज़ पे हक़ किसी और का है ये समझ ना पाया कोई , 
मुझे क्या पता था किसी और के हक़ पे कोई अपना हक़ जताना चाहेगा । 

नहीं जानना चाहती हूँ में की दिल में किसी के क्या है मेरे लिये , 
मुझे इतना पता है जिसे मैं चाहती हूँ उसके सिवा कोई मुझपे हक़ जता ना पायेगा Madhu Kaur Sakshi Sachan Sarita Poonam Faguni Verma
मुझे क्या पता था की मेरा लिखा किसी को इतनी गहरी चोट देगा , 
मुझे क्या पता था की अल्फ़ाज़ मेरे किसी को जीने की वजह देगा । 

लिखा था मैंने अपने जज़्बात को अपने प्यार के लिये कागज़ पे , 
मुझे क्या पता था कोई उसे अपना समझ कर मुझसे प्यार कर बैठेगा । 

दर्द अपना लिखा था किसी और के लिये चाहत मेरी थी किसी और की खातिर , 
मुझे क्या पता था कोई उन चाहतों को खुद के हिस्से का दर्द समझ लेगा । 

प्यार लिखना आज गुनाह सा लगता है दर्द बयान करने से डर लगता है , 
मुझे क्या पता था किसी और के दिये दर्द को कोई अपना नाम दे जायेगा । 

मेरे हर अल्फ़ाज़ पे हक़ किसी और का है ये समझ ना पाया कोई , 
मुझे क्या पता था किसी और के हक़ पे कोई अपना हक़ जताना चाहेगा । 

नहीं जानना चाहती हूँ में की दिल में किसी के क्या है मेरे लिये , 
मुझे इतना पता है जिसे मैं चाहती हूँ उसके सिवा कोई मुझपे हक़ जता ना पायेगा Madhu Kaur Sakshi Sachan Sarita Poonam Faguni Verma
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