दिल इलाही नूर तेरा तेरी ही बेचैनियाँ बेसबर रातें हमारी क्यों हुई तू ही बता ढूँढती है तुझको दुनियाँ जी में ले बेसब्रियाँ दर-बदर हूँ ढूँढता ख़ुद मैं अपना ही पता लोग कहते हैं तेरे भीतर ही है तेरा ख़ुदा ख़ुद को या ख़ुदा! और तुझको मैं ढूँढू कहाँ है कहीं बस शोरगुल और कहीं खामोशियाँ इस जहाँ में कोई दिल की कहता-सुनता है कहाँ है ख़ुदी मजबूर ख़ुद बेज़ुबाँ शायद ख़ुदा मअसलन कोई बता दे आज मुझको बार हाँ इन बुलंदियों का फिर है शोर क्यों बरपा यहाँ #searchingsoul