मेहनती थके रास्तों पर कहीं कहीं चाहिए होता है एक विशाल बरगद सुस्ताने के लिए, सहस्र भुजाएं लिए हुए वो बरगद तुम हो... {शेष अनुशीर्षक में...}}} मेहनती थके रास्तों पर कहीं कहीं चाहिए होता है एक विशाल बरगद सुस्ताने के लिए, सहस्र भुजाएं लिए हुए वो बरगद तुम हो...