Nojoto: Largest Storytelling Platform

मजहब की आड़ लिऐ , जाने कितने ठेकेदार बने । नफरत

 
मजहब की आड़ लिऐ ,
जाने कितने ठेकेदार बने ।
नफरत पालते जो दिलों में,
जाने कितने खरीदार मिले ।
इंसानियत पर है दांव धरे ,
हासिल जीत का इंतजार लिऐ ।

रश्मि वत्स।

©Rashmi Vats
  #नफरत #मज़हब