एक दास्तान सी बन गई थी, अनकही जब वो हमसे मिले और हम उन से। रास्ते नहीं पता थे पर अब मंजिल मिल गई थी, जीने की नई तरंग मिल गई थी। यह प्यार तो बेशक नहीं था, लेकिन यह उस से कम भी नहीं था। बिखरे टुकड़े जुड़ रहे थे धीरे-धीरे , बेतुकी सी बातें मिल रही थी हौले हौले। सफर कितना लंबा था , यह तो नहीं पता था , पर अब हर दिन हसीन था। घड़ी की टिक टिक और फोन की टिनटिन, फिर साथ मिलने लगी थी, अब ज़िंदगी बेखौफ लगने लगी थी। वह मेरा आईना थे जिसमें मैं खुद को देखती थी, चलो बहुत हुई बातें ,मुलाकाते , अब अलविदा कह देते हैं, कुछ ऐसी दास्तान थी उनकी और मेरे साथ की , बात की, हालात की। #aayina#tawazzudijiye#liveforwriting#nehaduseja#khulevica#adabkikahani#kavitaye#