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बचपन में रोते रोते इतनी सिसकिया लेती थी की पूरा घर

बचपन में रोते रोते इतनी सिसकिया लेती थी की पूरा घर सर पे उठा लेती थी
वक़्त के साथ न जाने कब से सिसकिया रात के अंधेरे में दब गयी।
बचपन में रोते रोते इतनी सिसकिया लेती थी की पूरा घर सर पे उठा लेती थी
वक़्त के साथ न जाने कब से सिसकिया रात के अंधेरे में दब गयी।
artisoni7918

arti soni

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