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अंजान राहें, अंजाना सफर और बिल्कुल अनजान थे हम- तु

अंजान राहें, अंजाना सफर और बिल्कुल अनजान थे हम- तुम।
मंजिल थी एक ही हमारी पर, बेखबर और नादान थे हम- तुम।

मुश्किलों के दौर में जो तुमने हाथ थामा, करीब आ गए हम-तुम।
बन के हमसफर साथ-साथ कदम मिलाकर, चलने लगे हम-तुम। 🌝प्रतियोगिता- 06🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"अंजान राहें" 🌷

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृपया केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
अंजान राहें, अंजाना सफर और बिल्कुल अनजान थे हम- तुम।
मंजिल थी एक ही हमारी पर, बेखबर और नादान थे हम- तुम।

मुश्किलों के दौर में जो तुमने हाथ थामा, करीब आ गए हम-तुम।
बन के हमसफर साथ-साथ कदम मिलाकर, चलने लगे हम-तुम। 🌝प्रतियोगिता- 06🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"अंजान राहें" 🌷

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृपया केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।