आज के वर्तमान हालात और बदलते आपसी रिश्ते .......और मेरे अल्फ़ाज़... ... ... #हुकूमत_का_शिकार_हैं____[दोस्त] ... ... कल तक जो गले मिलता था ,आज गला काटने की बात करता है ,, आज वो मानता ...मुझको दुश्मन अपना है,कल तक जो दोस्त था ...! ...उसे बुरा ना कहो ...हुकूमत का शिकार है...!! ×××××××× गुजरी है हमारी तो तमाम उम्रे ,साथ-साथ,, आज जाने क्यू दूरिया बनाये बैठा हैं...! उसे बुरा ना कहो ,हुकूमत का शिकार हैं...!! ××××××××× आज जाने कितनी नफरत है मेरे लिए ,, वो तो ऐसा ना था ,खैर छोड़ो...जाने दो...! ××××××××× वो मुझे रमजान मुबारक,मैं उसे हैप्पी दीवाली कहता था,, फिर ये फासले क्यू हैं...! छोड़ो जाने दो...वो दोस्त हैं अपना... उसे बुरा न कहो, हुकूमत का शिकार हैं...!! ×××××××××× किसी रोज हटेगा जो पर्दा ,बेवजह की नफरतों का,, वो लौट आएगा वही याराना निभाने...! ...अभी छोड़ो जाने दो ...उसे बुरा न कहो....... वो दोस्त हैं अपना ...हुकूमत का शिकार हैं..........!! ××××××××××× ... ... मेरी कलम........सादिक मेहर...77 हुकूमत का शिकार.... .....मेरी कलम............77