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देख के मेरी उम्र, वो हसता रहा, नाम कभी बूढ़ा, कभी ल

देख के मेरी उम्र, वो हसता रहा,
नाम कभी बूढ़ा, कभी लाचार वो रखता रहा,
उसकी परवरिश मे कमी, मैंने आने नही दी कभी,
बेवजह आज वो, मुझसे लड़ता रहा,
जान है अभी, वो जानता है जिस्म मे मेरे,
और मै बिखर के, रास्ते पे मरता रहा.
"हरीश तन्हा"

©Harish Pandey #harishtanha
देख के मेरी उम्र, वो हसता रहा,
नाम कभी बूढ़ा, कभी लाचार वो रखता रहा,
उसकी परवरिश मे कमी, मैंने आने नही दी कभी,
बेवजह आज वो, मुझसे लड़ता रहा,
जान है अभी, वो जानता है जिस्म मे मेरे,
और मै बिखर के, रास्ते पे मरता रहा.
"हरीश तन्हा"

©Harish Pandey #harishtanha