मन दर्पण तेरा उस पर है बदन चंदन अहसास उद्वेलित इक कर रहा स्पंदन नैसर्गिक स्पर्श से रूह तक निखर गयी प्रेम इंद्रधनुष कर रहा धरा गगन का चुम्बन. आँखों से चूमकर ख़त जो ग़ुलाबी हो जाये सजन के नयनों से ही मन शराबी हो जाये तबस्सुम-ए-लब जब छुए दिल की धड़कन क्यों न हो जाये मलय जीवन प्रेम समर्पण. ©malay_28 #चुम्बन