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खुद की पहचान तुम खुद ही खुद के शत्रु हो और खुद ही

खुद की पहचान

तुम खुद ही खुद के शत्रु हो
और खुद ही खुद के साथी हो
जब बात समझ ये आ जाती है
तब दुनिया सारी भा जाती है ॥

फिर अपना किसी को नहीं कहते हो
और कोई पराया नहीं लगता है
जब जनमानस सोता रहता है
तब अंत्रमन तेरा जगता है ॥

जब अपना पराया भूल जाते हो
जब खुद को ही तुम धूल पाते हो
तब भेदभाव सब भूल जाता है
तब न कोई शत्रु होता है
न साथी कोई रह जाता है ॥

©Sushil Patial खुद की पहचान

#fog
खुद की पहचान

तुम खुद ही खुद के शत्रु हो
और खुद ही खुद के साथी हो
जब बात समझ ये आ जाती है
तब दुनिया सारी भा जाती है ॥

फिर अपना किसी को नहीं कहते हो
और कोई पराया नहीं लगता है
जब जनमानस सोता रहता है
तब अंत्रमन तेरा जगता है ॥

जब अपना पराया भूल जाते हो
जब खुद को ही तुम धूल पाते हो
तब भेदभाव सब भूल जाता है
तब न कोई शत्रु होता है
न साथी कोई रह जाता है ॥

©Sushil Patial खुद की पहचान

#fog

खुद की पहचान #fog #कविता