खुद की पहचान तुम खुद ही खुद के शत्रु हो और खुद ही खुद के साथी हो जब बात समझ ये आ जाती है तब दुनिया सारी भा जाती है ॥ फिर अपना किसी को नहीं कहते हो और कोई पराया नहीं लगता है जब जनमानस सोता रहता है तब अंत्रमन तेरा जगता है ॥ जब अपना पराया भूल जाते हो जब खुद को ही तुम धूल पाते हो तब भेदभाव सब भूल जाता है तब न कोई शत्रु होता है न साथी कोई रह जाता है ॥ ©Sushil Patial खुद की पहचान #fog