*अपना ख्याल* हर कोई कहता 'अपना ख्याल' रखो, लेकिन ये 'अपना ख्याल' आज तक न तो मुझसे कभी मिलने आया न ही कभी कोई चिट्ठी पत्री भेजी, न कभी कोई फोन किया , न एक भी मैसेज आया! इसकी तो फ्रैंड रिक्वैस्ट फ्रैंड सजैशन भी नहीं आई कभी! आई.डी ढूंढा , न मिला ! फिर कहाँ मिलेगा यह 'अपना ख्याल ?' अमेजान, फ्लिपकार्ट, मंत्रा ? गूगल, फेसबुक या फिर इंस्टा ? शायर मिले , शायरी मिली, ख्यालातों भरी डायरी मिली, लेकिन ये ढीठ 'अपना ख्याल' न मिला ! सब कह रहे कि इसे रखूं , तो होता तो होगा जरूर , देर सबेर ही सही बस एक बार मिल जाए तो फिर रख लूंगा बंद करके दिल की अलमारी में, ज्यादा हुआ तो जमा कर दूंगा बैंक में, ख्यालों के ब्याज से बाँटूगा मैं भी दूसरों को उनके 'रखने वाले ख्याल !' या फिर सोचता हूं कि बीज हुआ तो मिट्टी में दबा दूंगा क्या पता पौधे निकल आएं , 'अपना ख्याल के!' यूंही रखने को ख्याल बोना और बाँटना भी तो, *दान पुण्य का ही काम है न!* ✍🏻✍🏻. . Ada₹sh Mish₹a ©Pandit Adarsh Mishraji Apna khayal.. #Rose