हालात बने कुछ ऐसे हम पा ना सके तुमको चाहत से ज्यादा थी जरूरत मेरी, मेरे ग़म को इंसा ही तो हैं आखिर कब तक नहीं रोयेंगे बेबस हो अगर यूँ तो उतर आये लहू पत्थर को मज़बूरी के मारों को मोहब्बत कहाँ रास आए चाहत में नहीं कुछ ये मिटा भी दें अगर खुद को माज़ी की मोहब्बत में दिवाना हुए ऐसे डूबे ना भँवर में हम ना पा ही सके साहिल को 29.12.1998 #पुरानी_डायरी #पुरानी_यादें #yqbaba #yqdidi