एक अजीब सी बेचैनी है आज इस दिल में 7 साल बीत गए लेकिन आज भी वह दर्द छुपा है इस दिल में लोगों के नारे मुझे आज भी सुनाई पड़ते हैं कानों में मुबारक हो निर्भया तुम जीत गई न्याय की जंग इन दरिंदों के बीच में मुबारक बोलते हुए भी मेरी जुबान लड़खड़ा रही है एक लंबी सांस लू तो आंखें भर कर आ रही है मुबारक हो निर्भया आज तुम जीत गई न्याय की जंग इन दरिंदों के बीच में अंकित नागार मुबारक हो निर्भया