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सरहद , गली मोहल्ला गांव की उन छालों से भरे कुछ पाँ

सरहद , गली मोहल्ला गांव की
उन छालों से भरे कुछ पाँव की
कुछ धुप की कुछ छाँव की
उस नदी मै चलती नाव की
अपनी अपनी मंज़िल सबकी
सबका अपना अपना  रास्ता है
नन्ने नन्ने कांधों पर अब देखो
कितना भारी बस्ता है
थकी थकी सी आँखों मे
अब छोटी सी मुस्कान है
टूटी फूटी हड्डियों की अब
बीता बचपन जान है
बचपन सरहद पार किये सब, बूढ़ी हड्डी बाकी है
सांसे सरी सरहद पर है, जो थोड़ी थोड़ी बाकी है Jeevan ek sarhad
सरहद , गली मोहल्ला गांव की
उन छालों से भरे कुछ पाँव की
कुछ धुप की कुछ छाँव की
उस नदी मै चलती नाव की
अपनी अपनी मंज़िल सबकी
सबका अपना अपना  रास्ता है
नन्ने नन्ने कांधों पर अब देखो
कितना भारी बस्ता है
थकी थकी सी आँखों मे
अब छोटी सी मुस्कान है
टूटी फूटी हड्डियों की अब
बीता बचपन जान है
बचपन सरहद पार किये सब, बूढ़ी हड्डी बाकी है
सांसे सरी सरहद पर है, जो थोड़ी थोड़ी बाकी है Jeevan ek sarhad
tarunmadhukar6794

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