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काश ये सब झूठ होता, काश ये सब झूठ होता किसी और का

काश ये सब झूठ होता, काश ये सब झूठ होता
किसी और का नहीं
तू मेरा मेहबूब होता
तेरे मन के दर्पण में
मेरा रूप होता
मैं धूप होती
तू छावं होता 
मैं चाहतों का शहर होती
तू मुहब्बत का गांव होता
किसी और का नहीं
तू मेरी रातों का चांद होता
किसी और का नही 
तू सिर्फ मेरा होता ।।

©nita kumari #Alas

#Alas
काश ये सब झूठ होता, काश ये सब झूठ होता
किसी और का नहीं
तू मेरा मेहबूब होता
तेरे मन के दर्पण में
मेरा रूप होता
मैं धूप होती
तू छावं होता 
मैं चाहतों का शहर होती
तू मुहब्बत का गांव होता
किसी और का नहीं
तू मेरी रातों का चांद होता
किसी और का नही 
तू सिर्फ मेरा होता ।।

©nita kumari #Alas

#Alas