a-person-standing-on-a-beach-at-sunset हिम्मत छूट रही है, आस टूट रही है.. अब तो तू आकर संभाल ले मां..! जीवन छोटा है, बहुत ही उलझा है.. इस उलझन को तू आकर सुलझा दे मां...! तुझसे ही जुड़ी है आस की डोर.. चटक न जाए तू आकर धाम ले मां...! तेरे आंचल में की छाव में रखा है सर... धाम के हाथ मेरा, इस नैया को पर लगा दे मां...! ©Moksha Sharma मां.....❤️