क्यों करते हो तुम ऐसा कहो तो. क्या है मेरा और तुम्हारा... ये अनकहा, बेनाम रिश्ता पल भर के लिए लहरों ने पूछा किनारों से एक आह भरी ख़ामोशी के साथ, किनारों ने असीम वेदना से कहा मैं नहीं जानता तुम्हारा अपना रिश्ता बस जानता हूँ अपने अतिरेक में तुम तोड़ देती हो मुझे मगर, ये भी सच है तुम्हारे बिना मेरा कोई वजूद भी तो नहीं बड़ा अजीब सा खालीपन होता है तुम्हारे बिना, सूखा बंजर सा ©हिमांशु Kulshreshtha एक ख़ामोश दर्द..