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जनता को रोटी नहीं,मिलता न रोजी कहीं, कागजी नौकरी

जनता को रोटी नहीं,मिलता न रोजी कहीं,
कागजी  नौकरी का  बहाव  होना चाहिए।

सब  कुछ  मिट जाए, देश  चाहे  लुट जाए,
कुर्सी  का  उनके   बचाव   होना   चाहिए।

जीत  जाए हर कोई, भले न हो  साफ़गोई,
बातों  में उसके  तो  घुमाव  होना  चाहिए।

सब काम रूके भले,जो चाहे कुछ भी टले,
समय  से  यहाँ  तो  चुनाव  होना  चाहिए।
 #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #विश्वासी #चुनाव फ़ोटो साभार: इंटरनेट
जनता को रोटी नहीं,मिलता न रोजी कहीं,
कागजी  नौकरी का  बहाव  होना चाहिए।

सब  कुछ  मिट जाए, देश  चाहे  लुट जाए,
कुर्सी  का  उनके   बचाव   होना   चाहिए।

जीत  जाए हर कोई, भले न हो  साफ़गोई,
बातों  में उसके  तो  घुमाव  होना  चाहिए।

सब काम रूके भले,जो चाहे कुछ भी टले,
समय  से  यहाँ  तो  चुनाव  होना  चाहिए।
 #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #विश्वासी #चुनाव फ़ोटो साभार: इंटरनेट