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ये देश मेरा, ये मिट्टी मेरी इसमें फैली, अब हमारे व

ये देश मेरा, ये मिट्टी मेरी
इसमें फैली, अब हमारे विकास की
वो भीनी भीनी सुगंध!
जो सारे जहां को, बतला रही है
जो सारे जहां को, दिखला रही है
अब हमे न कोइ, रोक पायेगा
अब हमे न कोइ, छेड़ पायेगा
अब हमे न कोइ, सिखा पायेगा 
अब कोइ न, बाधा बन पाएगी 
फिर से, हमे सोने की चिड़िया कहलाने में 
विश्वपटल पे फिर से विश्व गुरु कहलाने में।
हमने सिख लिया है, अपने कल के इतिहासो से,
हमने समझ लिया है, अपने कल के हुक्मरानों से 
बस एकता में ही, हमारी सबसे बड़ी ताकत है
मुट्ठी बंद अगर है, दस हजार हाथी भी कमजोर है
मुट्ठी खुली हुई है, अदना सा जानवर भी हमसे ज्यादा मजबूत है।
हम भले लड़ेंगे, कटेंगे आपस में, 
दूसरों के लिए, एक तलवार ढाल हैं हम।
आने वाली सदियों के हम, विश्व सिरमौर है, इसलिए 
अब हर तरफ, बस हमारी ही तस्वीरों के लगने की है चर्चा, 
जहां सपेरों का देश कहकर, मज़ाक उड़ाया जाता था 
वहींं अब हमारे सनातन धर्म का बज रहा है डंका ।
हो क्यों नहीं, अभी से बाते हमारी, 
धीरे धीरे ही सही, मिलकर एक एक
मजबूत कदम उठाया है जो हमने 
सबका साथ, सबका विकास लेकर
धीरे धीरे ही सही, हिमालय जो चढ़ा है हमने।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
  #स्वतंत्रतादिवस #IndependenceDay #भारत 
ये देश मेरा, ये मिट्टी मेरी
इसमें फैली, अब हमारे विकास की
वो भीनी भीनी सुगंध!
जो सारे जहां को, बतला रही है
जो सारे जहां को, दिखला रही है
अब हमे न कोइ, रोक पायेगा
अब हमे न कोइ, छेड़ पायेगा
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

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#स्वतंत्रतादिवस #IndependenceDay #भारत ये देश मेरा, ये मिट्टी मेरी इसमें फैली, अब हमारे विकास की वो भीनी भीनी सुगंध! जो सारे जहां को, बतला रही है जो सारे जहां को, दिखला रही है अब हमे न कोइ, रोक पायेगा अब हमे न कोइ, छेड़ पायेगा #कविता

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