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बात बहुत अजीब थी, कोई बात ही नहीं थी, वहां हर मुर्

बात बहुत अजीब थी,
कोई बात ही नहीं थी,
वहां हर मुर्दा,
मुर्दा ही था,
वहां किसी की कोई जात ही नहीं थी,
समझ से परे हैं
ये सीधे सादे लोगों को
कोई समझ जाए,
इतनी किसी की औकात ही नहीं थी,
मासूमियत खा गए नोच नोच के,
पहले तो मुझमें चालाकी वाली कोई बात ही नहीं थी।
बात बहुत अजीब थी,
कोई बात ही नहीं थी,
वहां हर मुर्दा,
मुर्दा ही था,
वहां किसी की कोई जात ही नहीं थी,
समझ से परे हैं
ये सीधे सादे लोगों को
कोई समझ जाए,
इतनी किसी की औकात ही नहीं थी,
मासूमियत खा गए नोच नोच के,
पहले तो मुझमें चालाकी वाली कोई बात ही नहीं थी।